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Yatharth Sandesh
22 Jul, 2025 (Hindi)
Ancient Bhartiya Culture

हिंदू

Sub Category: Bhakti Geet

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#क्या_हिन्दू_शब्द_पौराणिक_है?
सबसे पहले हिन्दू शब्द का उल्लेख :-
तन्त्रग्रन्थ, 'मेरुतन्त्र' में हिन्दू शब्द का निम्न उल्लेख मिलता है -
पंचखाना सप्तमीरा नव साहा महाबला:।
हिन्दूधर्मप्रलोप्तारो जायन्ते चक्रवर्तिन:।।
हीनं दूशयत्येव हिन्दुरित्युच्यते प्रिये।
पूर्वाम्नाये नवशतां षडशीति: प्रकीर्तिता:।।

इसमें 'हिन्दू' शब्द की जो व्युत्पत्ति दी गई है, वह है 'हीनं दूषयति स हिन्दू' अर्थात् जो हीन (हीनता अथवा नीचता) को दूषित समझता (उसका त्याग करता) है, वह हिन्दू है।

इस ग्रन्थ की रचना ईशा से कुछ समय पूर्व की गई है अतः इसके पीछे देखते है :-

#बृहस्पति_आगम_में -
विशालाक्ष शिव द्वारा रचित राजनीति के महान शास्त्र का संक्षित महर्षि बृहस्पतिजी ने बार्हस्पत्य शात्र नाम से किया। फिर वराहमिहिर ने एक शास्त्र लिखा जिसका नाम बृहत्संहिता है। इसके बाद बृहस्पति-आगम की रचना हुई।

'बृहस्पति आगम' सहित अन्य आगम ईरानी या अरबी सभ्यताओं से बहुत प्राचीनकाल में लिखे जा चुके थे। अतः उसमें 'हिन्दुस्थान' का उल्लेख होने से स्पष्ट है कि हिन्दू (या हिन्दुस्थान) नाम प्राचीन ऋषियों द्वारा दिया गया था न कि अरबों/ईरानियों द्वारा। यह नाम बाद में अरबों/ईरानियों द्वारा प्रयुक्त होने लगा।

ॐकार मूलमंत्राढ्य: पुनर्जन्म दृढ़ाशय:
गोभक्तो भारतगुरु: हिन्दुर्हिंसनदूषक:।
हिंसया दूयते चित्तं तेन हिन्दुरितीरित:।

'ॐकार' जिसका मूल मंत्र है, पुनर्जन्म में जिसकी दृढ़ आस्था है, भारत ने जिसका प्रवर्तन किया है तथा हिंसा की जो निंदा करता है, वह हिन्दू है।

हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥
(बृहस्पति आगम)

अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।

'हिन्दू' शब्द का मूल निश्चित रूप से वेदादि प्राचीन ग्रंथों में विद्यमान है सही शब्द है “हिंदोह” जिसका उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है संस्कृत में हिं ( हिङ् ) का अर्थ होता है “गौ की करुना भरी पुकार अपने बछड़े के लिए” ( संस्कृत ) या गौ की अपने बछड़े ( पालक ) के लिए ममता भरी पुकार l और दोह का अर्थ है दोहना या दुहना l

“हिङ्कृण्वती वसुपत्नी वसुनां वत्समिच्छन्ती मनसा न्यागन्।
दुहाम्श्विभ्यां पयो अघ्न्येयं सा वर्धतां महते सौभगाय।। “
(अथर्व 7.73.7 )

जिसका भाव कुछ यह है अपने वत्स ( पालक ) के प्रति हिं शब्द करती हुई उत्कृष्ट धनों का पालन करनेवाली मन में वत्स को चाहती हुई निश्चय से आँगन में आये (सायं काल चरागाहों से गौ चर कर नित अपने गौपालक के घर वापस आये) और गौ सेवक को दूध दही इत्यादि दोहन से प्राप्त करवाते हुए सौभाग्य का कारण बने l

हिं को दोहने से जिसको सौभाग्य प्राप्त होता है वही हिंदोह है। जिसके आंगन में सांयकाल ममता की करुणामयी पुकार करती हुई गौ है वही हिंदोह का आंगन है। उपनिषदों के काल के प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत एवं मध्यकालीन साहित्य में 'हिन्दू' शब्द पर्याप्त मात्रा में मिलता है। अनेक विद्वानों का मत है कि 'हिन्दू' शब्द प्राचीनकाल से सामान्यजनों की व्यावहारिक भाषा में प्रयुक्त होता रहा है।

जब प्राकृत एवं अपभ्रंश शब्दों का प्रयोग साहित्यिक भाषा के रूप में होने लगा, उस समय सर्वत्र प्रचलित 'हिन्दू' शब्द का प्रयोग संस्कृत ग्रंथों में होने लगा।

ब्राहिस्पत्य, कालिका पुराण, कवि कोश, राम कोश, कोश, मेदिनी कोश, शब्द कल्पद्रुम, मेरूतंत्र, पारिजात हरण नाटक, भविष्य पुराण, अग्निपुराण और वायु पुराणादि संस्कृत ग्रंथों में 'हिन्दू' शब्द जात अर्थ में सुस्पष्ट मिलता है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि इन संस्कृत ग्रंथों के रचना काल से पहले भी 'हिन्दू' शब्द का जन समुदाय में प्रयोग होता था।

#हिन्दू_अपभ्रंश_है, #अपशब्द_नही -

फ़ारसी कोशों में 'हिन्द' और इससे व्युत्पन्न अनेक शब्द पाए जाते हैं। जैसे- हिन्दू, हिन्दी, हिन्दुवी, हिन्दुवानी, हिन्दूकुश, हिन्दसा, हिन्दसाँ, हिन्दबाना, हिन्दूएचर्ख, हिन्दमन्द आदि। इन शब्दों के अस्तित्व से स्पष्ट है कि 'हिन्द' शब्द फारसियों ने भारत के संदर्भ में किया और इसका अर्थ भारतवर्ष है।

भारत, फ़ारस (ईरान) का पड़ोसी देश था। इसलिए वहाँ इसके नाम का बहुत प्रयोग होना स्वाभाविक था। फ़ारसी में बल्ख नगर का नाम 'हिन्दवार', इसके पास के पर्वत का नाम हिन्दूकुश और भारतीय भाषा और संस्कृति के लिए 'हिन्दकी' शब्द मिलता है। इन शब्दों के प्रयोग से यह निष्कर्ष निकलता है कि फ़ारसी बोलने वाले लोग हिन्द (भारत) से भली-भाँति परिचित थे और वे हिन्दूकुश तक के प्रदेश को भारत का भाग समझते थे और वो हिन्दू शब्द से परिचित थे इन्ही फारसियों से ही ये शब्द मुस्लिमो को मिला ।

अब प्रश्न यह है कि 'हिन्दू' शब्द फ़ारस वालों को कैसे मिला?

फ़ारस के पूर्व सबसे पहले महत्त्वपूर्ण भौगोलिक अवरोध एवं दृश्य सिन्धु नदी और उसकी दक्षिण तथा वामवर्ती सहायक नदियों का जाल है। पूर्व से सिन्धु नदी में सीधे मिलने वाली तीन नदियाँ वितस्ता (झेलम), परुष्णी (रावी) और शतद्रु (सतलुज) (उपनदियों के साथ) और पश्चिम से भी तीन सुवास्तु (स्वात), कुभा (काबुल) और गोमती (गोमल) हैं।

इन छ: नदियों के साथ सिन्धु द्वारा सिंचित प्रदेश का नाम 'हफ्तहेन्दु' (सप्तसेन्धु) था। यह शब्द सबसे पहले 'जेन्दावस्ता' (छन्दावस्था) पारसी धर्मग्रन्थ में मिलता है। फ़ारसी व्याकरण के अनुसार संस्कृत का 'स' अक्षर 'ह' में परिवर्तित हो जाता है। इसी कारण से सिन्धु, 'हिन्दू' हो गया। पहले 'हेन्दु' अथवा 'हिन्द' के रहने वाले 'हेन्दव' अथवा 'हिन्दू' कहलाये। जैसे सरित(नदी) शब्द की उत्पत्ति हरित शब्द से हुई है। “हरितो न रह्यॉ” (अथर्ववेद 20.30.4) की व्याख्या मे निघंटु मे स्पष्ट है “सरितों हरितो भवन्ति”॥ वैदिक व्याकरण के संदर्भ में निघंटु का निर्देश (नियम) है कि “स” कई स्थानों पर “ह” ध्वनि में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रकार अन्य स्थानों मे भी “स” को “ह” व “ह” को “स” लिखा गया है। .

सरस्वती को हरस्वती- “तं ममर्तुदुच्छुना हरस्वती” (ऋग. 2।23।6), श्री को ह्री- “ह्रीश्चते लक्ष्मीश्च पत्न्यौ” आदि-आदि॥ इसी प्रकार हिन्दू शब्द वैदिक सिंधु शब्द की उत्पत्ति है क्योंकि

सिंधु शब्द से हिंदुओं का सम्बोधन विदेशी आरंभ नहीं है जैसा कि इतिहास मे बताने का प्रयास होता है वरन वैदिक सम्बोधन है। “नेता सिंधूनाम” (ऋग 7.5.2), “सिन्धोर्गभोसि विद्दुताम् पुष्पम्”(अथर्व 19.44.5)

धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत के लिए इसका प्रयोग होने लगा, क्योंकि भारत के पश्चिमोत्तर के देशों के साथ सम्पर्क का यही एकमात्र द्वार था। इसी प्रकार व्यापक रूप में भारत में रहने वाले लोगों का धर्म हिन्दू धर्म कहलाया।

फ़ारसी भाषा में 'हिन्दू' शब्द के कुछ अन्य घृणासूचक अर्थ भी पाये जाते हैं, यथा- सेवक, दास, पहरेदार, काफ़िर (नास्तिक) आदि। ये अर्थ जातीय द्वेष के परिणाम हैं। पश्चिमोत्तर सीमा के लोग प्राय: बराबर साहसी और लड़ाकू प्रवृत्ति के रहे हैं। अत: वे फ़ारस के आक्रामक, व्यापारी और यात्री सभी को कष्ट देते थे। इसीलिए फ़ारस वाले उन्हें लडाकू कहते थे और जब फ़ारस ने इस्लाम धर्म स्वीकार किया, तो उनको काफ़िर भी कहा।।

विशेष -
#जुनागड़ में मिले अशोक के शिलालेख में हमें इस देश का नाम हिदा या हिन्द मिलता है और इसका उल्लेख 70 बार से अधिक है उसने इस देश को हिदा लोक कहा है। #अशोक ने अपने लेख मागधी में लिखवाए है और इससे साफ पता चलता है की हिन्दू भारतीय शब्द है। हिब्रू बाइबिल में सिन्धु को इंडो कहा गया है और भारत के लोगो को हिदो यानि हिन्दू शब्द सिन्धु से नहीं आया।

चीनी यात्री #ह्वेनसांग के समय में 'हिन्दू' शब्द प्रचलित था। यह माना जा सकता है कि 'हिन्दू' शब्द 'इन्दु' जो चन्द्रमा का पर्यायवाची है, से बना है। चीन में भी 'इन्दु' को 'इंतु' कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष चन्द्रमा को बहुत महत्व देता है। राशि का निर्धारण चन्द्रमा के आधार पर ही होता है। चन्द्रमास के आधार पर तिथियों और पर्वों की गणना होती है। अत: चीन के लोग भारतीयों को 'इंतु' या 'हिन्दू' कहने लगे। मुस्लिम आक्रमण के पूर्व ही 'हिन्दू' शब्द के प्रचलित होने से यह स्पष्ट है कि यह नाम पारसियों या मुसलमानों की देन नहीं है। ????????

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