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Yatharth Sandesh
11 Jun, 2025 (Hindi)
Dharm

विचारणीय

Sub Category: Bhakti Geet

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सोते समय बिस्तर पर बैठकर विचार करो कि मेरी बुद्धि, मेरा धन, मेरा पद जिसका मुझे अभिमान है , क्या मुझे दुख एवं तबाही से बचा सकता है, सोचा हुआ जीवन दे सकता है, यदि नहीं? तो क्या मेरी आत्मा को पशु पक्षी, कीड़े मकोड़े आदि योनियों में जाने से बचा सकता है? सुबह से शाम तक जितने लोगों से मिले , बातें की क्या वे सब मुझे सुख शांति दे सकते हैं? क्या मेरा प्रेम इन सबसे है क्या इतना प्रेम ईश्वर से है या गुरु से है? हमारा आज का सोचा हुआ विचार ही कल हमारे भविष्य के रूप में सामने आता है। ईश्वर कृपा एवं दर्शन के लिए केवल निर्मल हृदय चाहिए, खान - पान, वेश भूषा , जाति -पांति , धन विद्वता संसार का कुछ भी नहीं चाहिए।

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