Yatharth Sandesh
17 Feb, 2019 (Hindi)
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जम्मू-कश्मीर के 22 जिलों में 670 अलगाववादियों को विशेष सुरक्षा मिली हुई है।
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1. पूरे जम्मू-कश्मीर के 22 जिलों में 670 अलगाववादियों को विशेष सुरक्षा मिली हुई है।
2. जम्मू कश्मीर विधानसभा की चर्चा से मैंने ये आंकडें लिए हैं 'राज्य में कुल 73,363 पुलिसकर्मी है। इसमें पूरे राज्य के 670 अलगाववादियों की सुरक्षा में 18000 पुलिसकर्मी तैनात हैं।'
3. राज्य के सर्व-शिक्षा अभियान का कुल वार्षिक खर्च 486 करोड़ है लेकिन अलगावादी नेताओं की सुरक्षा पर ही 560 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।
4. उम्रदराज अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी कहते हैं - 'यहाँ केवल इस्लाम चलेगा, इस्लाम की वजह से पाकिस्तान हमारा है और हम पाकिस्तानी।'
5. महिला अलगाववादी असिया अंद्राबी पाक का कश्मीर में दखल कानूनी हक मानती हैं।
6. 2010 में पहली बार सेना, पुलिसकर्मियों पर पथराव करवाने वाले मसरत आलम का कोई भी बच्चा कश्मीर में नहीं रहता।
7. बुरहान वानी की कब्र पर ऑडियो मैसेज से जेहाद की शिक्षा दे रहे सैयद अली गिलानी के तीन बेटे और तीन बेटियां इस जिहाद से कोसों दूर अमेरिका में सुकून की जिन्दगी जी रहे हैं।
8. दिल्ली से बातचीत के लिए जाने वाले सांसदों के लिए ये अलगाववादी नेता अधिकतर अपने घर के दरवाजे तक नहीं खोलते।
9. जम्मू-कश्मीर को मिलने वाली केंद्रीय मदद का 90 फीसदी हिस्सा अनुदान होता है, जबकि मात्र 10 फीसदी को कर्ज माना जाता है।
10. विशेष पैकेज पर जीने की आदी हो चुकी जम्मू-कश्मीर सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन भी नहीं दे पाती। देश से अलग होने की मांग करने वाले इस राज्य में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में राज्य सरकार का अंशदान केवल 14 फ़ीसदी होता है जबकि 86 फीसदी हिस्सा केंद्र देता है, जो पूरे देश से वसूला जाता है।
11. जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को होटल, हवाई टिकट और विदेश में इलाज का खर्च केंद्र सरकार देती है।
12. जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है। 1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता है। भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
13. जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी। इसके विपरीत यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह करती है, तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है।
14. जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं है। यहां भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश मान्य नहीं होते। भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के संबंध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
15. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI लागू नहीं होता, RTE भी लागू नहीं होता है और यहां CAG भी लागू नहीं है। यहां महिलाओं पर शरियत कानून लागू है। कश्मीर में पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है। कश्मीर में काम करने वाले चपरासी को आज भी वेतन के तौर पर 2500 रुपए ही मिलते हैं और कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दुओं और सिखों को 16% आरक्षण भी नहीं मिलता है.
छोड़िये ये सब, बस ये जानिये की भारतीय सेना ने कल कश्मीर में आतंकवादियों को घेरा तो उनको बचाने के लिए सैकड़ों लड़के पथराव करने लगे. डॉ राहत इन्दौरी ने ये शेर किन्ही और सन्दर्भों में कहा होगा लेकिन मैं इसे अपने इसी स्टेटस के साथ लेता हूँ -
'न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा अब हमीं से निकलेगा।'
2. जम्मू कश्मीर विधानसभा की चर्चा से मैंने ये आंकडें लिए हैं 'राज्य में कुल 73,363 पुलिसकर्मी है। इसमें पूरे राज्य के 670 अलगाववादियों की सुरक्षा में 18000 पुलिसकर्मी तैनात हैं।'
3. राज्य के सर्व-शिक्षा अभियान का कुल वार्षिक खर्च 486 करोड़ है लेकिन अलगावादी नेताओं की सुरक्षा पर ही 560 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।
4. उम्रदराज अलगाववादी नेता सैयद अली गिलानी कहते हैं - 'यहाँ केवल इस्लाम चलेगा, इस्लाम की वजह से पाकिस्तान हमारा है और हम पाकिस्तानी।'
5. महिला अलगाववादी असिया अंद्राबी पाक का कश्मीर में दखल कानूनी हक मानती हैं।
6. 2010 में पहली बार सेना, पुलिसकर्मियों पर पथराव करवाने वाले मसरत आलम का कोई भी बच्चा कश्मीर में नहीं रहता।
7. बुरहान वानी की कब्र पर ऑडियो मैसेज से जेहाद की शिक्षा दे रहे सैयद अली गिलानी के तीन बेटे और तीन बेटियां इस जिहाद से कोसों दूर अमेरिका में सुकून की जिन्दगी जी रहे हैं।
8. दिल्ली से बातचीत के लिए जाने वाले सांसदों के लिए ये अलगाववादी नेता अधिकतर अपने घर के दरवाजे तक नहीं खोलते।
9. जम्मू-कश्मीर को मिलने वाली केंद्रीय मदद का 90 फीसदी हिस्सा अनुदान होता है, जबकि मात्र 10 फीसदी को कर्ज माना जाता है।
10. विशेष पैकेज पर जीने की आदी हो चुकी जम्मू-कश्मीर सरकार अपने कर्मचारियों का वेतन भी नहीं दे पाती। देश से अलग होने की मांग करने वाले इस राज्य में सरकारी कर्मचारियों के वेतन में राज्य सरकार का अंशदान केवल 14 फ़ीसदी होता है जबकि 86 फीसदी हिस्सा केंद्र देता है, जो पूरे देश से वसूला जाता है।
11. जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को होटल, हवाई टिकट और विदेश में इलाज का खर्च केंद्र सरकार देती है।
12. जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती। इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है। 1976 का शहरी भूमि कानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता है। भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
13. जम्मू-कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाएगी। इसके विपरीत यदि कोई कश्मीरी महिला पाकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह करती है, तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती है।
14. जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं है। यहां भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश मान्य नहीं होते। भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के संबंध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
15. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI लागू नहीं होता, RTE भी लागू नहीं होता है और यहां CAG भी लागू नहीं है। यहां महिलाओं पर शरियत कानून लागू है। कश्मीर में पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है। कश्मीर में काम करने वाले चपरासी को आज भी वेतन के तौर पर 2500 रुपए ही मिलते हैं और कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दुओं और सिखों को 16% आरक्षण भी नहीं मिलता है.
छोड़िये ये सब, बस ये जानिये की भारतीय सेना ने कल कश्मीर में आतंकवादियों को घेरा तो उनको बचाने के लिए सैकड़ों लड़के पथराव करने लगे. डॉ राहत इन्दौरी ने ये शेर किन्ही और सन्दर्भों में कहा होगा लेकिन मैं इसे अपने इसी स्टेटस के साथ लेता हूँ -
'न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा अब हमीं से निकलेगा।'
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