Yatharth Sandesh
12 Aug, 2017 (Hindi)
National
विद्यालयो में वंदे मातरम् अनिवार्य करने का प्रस्ताव मुंबई महानगरपालिका ने किया पारित !
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मुंबई : बीएमसी की बैठक में भाजपा के कॉर्पोरेटर के उस प्रस्ताव को पास कर दिया गया जिसमें उन्होंने सभी सिविक विद्यालयो में ‘वंदे मातरम्’ को अनिवार्य करने की मांग की थी। इस प्रस्ताव को अब बीएमसी कमिश्नर को भेजा जाएगा।
गुरुवार को बीएमसी की जीबीएम में गोरेगांव से भाजपा कॉर्पोरेटर संदीप पटेल ने यह प्रस्ताव रखा था कि बीएमसी के सभी विद्यालयो में सप्ताह में २ बार ‘वंदे मातरम्’ गाया जाना अनिवार्य कर देना चाहिए। उनका कहना था कि ऐसा करने से बच्चों में देशभक्ति की भावना बढ़ाई जा सकेगी ! उन्होंने राष्ट्रगीत को बीएमसी की सभी वैधानिक समिति की बैठकों में गाए जाने का सुझाव भी दिया।
उनके प्रस्ताव को समाजवादी पार्टी ने विरोध किया है। पार्टी के अनुसार ‘वंदे मातरम्’ में मातृभूमि की पूजा की बात है, जबकि मुस्लिम समुदाय में अल्लाह के अलावा किसी की पूजा नहीं की जाती। बीएमसी में एसपी के नेता रईस शेख ने पार्टी के ६ अन्य नेताओं के साथ इस विषय पर पोल कराए जाने की मांग की जिसे नहीं माना गया। इस बात पर शेख अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बीएमसी से बाहर चले गए।
उन्होंने कहा कि वह वंदे मातरम गाए जाने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इसे अनिवार्य किए जाने की कोई जरूरत नहीं। उन्होंने कहा, ‘मैं भी अपनी मातृभूमि से बहुत प्यार करता हूं लेकिन हमारे धर्म में सिर्फ अल्लाह का ‘वंदन’ किया जा सकता है, और किसी का नहीं। इस प्रस्ताव के पास किए जाने से हम बेहद आहत हैं !’
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स
गुरुवार को बीएमसी की जीबीएम में गोरेगांव से भाजपा कॉर्पोरेटर संदीप पटेल ने यह प्रस्ताव रखा था कि बीएमसी के सभी विद्यालयो में सप्ताह में २ बार ‘वंदे मातरम्’ गाया जाना अनिवार्य कर देना चाहिए। उनका कहना था कि ऐसा करने से बच्चों में देशभक्ति की भावना बढ़ाई जा सकेगी ! उन्होंने राष्ट्रगीत को बीएमसी की सभी वैधानिक समिति की बैठकों में गाए जाने का सुझाव भी दिया।
उनके प्रस्ताव को समाजवादी पार्टी ने विरोध किया है। पार्टी के अनुसार ‘वंदे मातरम्’ में मातृभूमि की पूजा की बात है, जबकि मुस्लिम समुदाय में अल्लाह के अलावा किसी की पूजा नहीं की जाती। बीएमसी में एसपी के नेता रईस शेख ने पार्टी के ६ अन्य नेताओं के साथ इस विषय पर पोल कराए जाने की मांग की जिसे नहीं माना गया। इस बात पर शेख अपनी पार्टी के नेताओं के साथ बीएमसी से बाहर चले गए।
उन्होंने कहा कि वह वंदे मातरम गाए जाने के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इसे अनिवार्य किए जाने की कोई जरूरत नहीं। उन्होंने कहा, ‘मैं भी अपनी मातृभूमि से बहुत प्यार करता हूं लेकिन हमारे धर्म में सिर्फ अल्लाह का ‘वंदन’ किया जा सकता है, और किसी का नहीं। इस प्रस्ताव के पास किए जाने से हम बेहद आहत हैं !’
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स
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